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साक्षात्कार : मैथिली सिनेमा में स्थापित कलाकार शुभ नारायण झा के साथ


साक्षात्कार :
सवाल : बिदेश्वर नाथ झा "बिकास"
जवाब: फ़िल्म अभिनेता शुभ नारायण झा

◆ आज के साक्षात्कार में हमारे साथ है मैथिली सिनेमा और सीरियलों में अपनी अदाकारी से एक अलग पहचान बनाने वाले प्रतिष्ठित कलाकार/अभिनेता शुभ नारायण झा।

सवाल : न्यूज़ मिथिला के साक्षात्कार के क्रम में न्यूज़ मिथिला के पहले अतिथि के रूप में आपका स्वागत है।
जवाब : न्यूज़ मिथिला टीम को भी बहुत बहुत धन्यवाद, जो हमे पहले साक्षात्कार में मौका दिया। न्यूज़ मिथिला बुलंदियों को छुए ये हमारी शुभकामना है।

सवाल : शुभ नारायण जी, न्यूज़ मिथिला के दर्शक सब के समक्ष अपना परिचय दिया जाय। 
जवाब : में परिहारपुर गावँ का रहने वाला हूँ, जो मधुबनी से 10 किमी उत्तर में है। मेरे पिताजी श्री महेश झा एक फ्रीडम फाइटर है, और एक साधारण किसान रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के लीडरशीप में तथा स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर अपने जीवन का अधिकतम समय कारागार में बिताये। वो बहुत अच्छे अभिनेता थे, अपने अभिनय का प्रदर्शन करके अपने पार्टी का प्रचार किया करते थे। यही कारन है की एक्टिंग और सामाजिक कार्यों में रूचि मेरे खून से आयी है। मेरे दो बेटियां है जो कंप्यूटर साइंस और फ़ूड टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग करके जॉब कर रही है। और एक बेटा है जो सिविल साइंस से द्वितीय वर्ष माँ पढ़ाई कर रहा है।

सवाल : अहांक प्रारंभिक शिक्षा-दिक्षा कतअ सं आओर कोन विषय में भेल छल ?
जवाब : मेरी प्रारंभिक शिक्षा गावं के ही गुरुकुल से शुरू हुई, जहाँ बच्चा दूध पीना छोड़ देता था तो उनके माता पिता गुरुकुल में डाल देते थे। वह गुरुकुल मेरे घर के पास ही था, जहाँ दोपहर को छुट्टी मिलती थी। आज भी याद है हर शनिवार को गुरु जी के लिये माता जी से शनिचरी के रूप में अनाज ले जाया करता था। नंबर आने पर गुरु जी का हमारे घर पर भोजन हुआ करता था। साल में एक दिन हम गणेश चतुर्थी को गणेश पूजा करते थे। और गावं के सारे घरों में जा कर विभिन्न प्रकार के गाना गाकर हम छात्र लोग गुरूजी के लिये भिक्षाटन करते थे। खैर बाद में तीसरी कक्षा में अपने गावं के स्कुल में एडमिशन लिया, 8वीं में मैंने रामेश्वर उच्च विद्यालय राजनगर में पढ़ाई की जहाँ उन दिनों 9 आना फीस हुआ करता था। 1979 में हायर सेकंडरी पास कर इंटर की पढाई जे. एन. कॉलेज, मधुबनी में पढ़ा उसके बाद, स्नातक की पढाई आर. के. कॉलेज, मधुबनी से किया।

सवाल : आपके फ़िल्मी कैरियर के सफर कहाँ से और कैसे शुरू हुआ ?
जवाब : मैं 1975 में 8वीं कक्षा में था जब राजनगर हाई स्कुल में एडमिसन लिया था, और वहीँ से हमने अपने अभिनय की यात्रा की शुरुआत की थी। शेक्सपीयर की रचना " ट्रेल ऑफ़ एन्टिनो" प्ले का में नेगेटिव किरदार "सयलॉक" का निभाया था। जिसकी बहुत प्रशंसा हुई, जिसके बाद गावँ, स्कुलों में विभिन्न प्ले में अलग अलग किरदार निभाते हुए सेकड़ों प्ले किये। जिंदगी के उतार चढ़ाव के बीच वर्ष 2005 में मेरे एक मित्र के आग्रह पर मैंने पुनः अभिनय यात्रा की शुरुआत एक मैथिली टेलीफिल्म "हम नहीं जायब पिया के गाम" से पुनः अपनी अभिनय यात्रा का शुरुआत एक बूढ़े व्यक्ति 70 साल का किरदार निभाकर किया। और फिर से एक अभिनेता की जिंदगी शुरू हो गयी। जैसा की मैं पहले आपको बताया हूँ की "हम नहीं जायब पिया के गाम" नामक मैथिली टेलीफिल्म में ब्रजवंशी काका के कैरेक्टर से मेरा सफ़र शुरू हुआ। उन दिनों गीत एल्बम का बहुत मार्केट था। एक दोस्त मुझे मनोज तिवारी के गाये एक गीत पर एल्बम में एक्टिंग करने को कहा। जिसका नाम अलबेला दूल्हा एल्बम था। मैंने उसमे काम तो किया किन्तु मुझे एल्बम में अभिनय करने में मज़ा नही आया, और मैं उसके बाद कभी एल्बम में काम नहीं किया, उन्हीं दिनों अनूप कुमार जी मैथिली में सिंदूरदान बना रहे थे और उन्होंने मुझे उस फ़िल्म में एक 75 साल के बूढ़ा "बुद्धू बाबू" का कैरेक्टर दिया। मेरी उस किरदार में मैं एक तकिया कलाम जोड़ा था.. "अउ जी हम बात बाजी साफ़" जो लोगो को बहुत पसंद आया। उन्ही दिनों सौभाग्य मिथिला टीवी चैनल की शुरुआत हुई और कुमार शैलेन्द्र जी ने हमें "दियोर भाउज" के समादि काका का कैरेक्टर दिया जो 120 एपिसोड चला, फिर मुझे उसी चैनल से "चल रे बटोहिया" में एक कैरेक्टर मिला जो 55 एपिसोड चला, फिर खुरलुच्ची, हमर सौतिन, घोघ में चाँद, छोड़ा अगत्ती छौड़ी भगवती, डमरू उत्साद इत्यादि फीचर फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका मिलता गया। बीच-बीच में दूरदर्शन के लिये कभी उत्थान समाधान इत्यादि में सकारात्मक और नकारात्मक किरदार निभाने का अवसर मिलता रहा। जी पुरवईया पर एक सीरियल आता था जिसका शूटिंग जब दिल्ली में होता था तो विभिन्न किरदार में उनमे आता रहता था। सीरियल एस. एन. झा. के गज़बे दुनिया में भी आता रहा हूँ, फ़िलहाल "पाहून" सीरियल में ऑन एयर हूँ और अप्रैल में एक और सीरियल "और सब ठीक छय" में नज़र आऊंगा। और कुछ ऐड फ़िल्म इत्यादि यही है मेरा अभी तक का सफ़र। 

सवाल : अभी तक आपने कितने एल्बम, सीरियल और फ़िल्म में काम कर चुके है ? और सबसे सफल क्या  रहा ? 
जवाब : सबके सब कैरेक्टर और सीरियल मूवी लोगो को खूब पसंद आया। किसी एक को किसी एक से बेहतर नहीं कह सकता में।  हाँ मूवी की कमर्शियल पॉइंट ऑफ़ व्यू से सोचें तो "छौड़ा अगत्ती छौड़ी भगवती" जरूर काफी हिट फ़िल्म कही जा सकती है। किन्तु मेरी सैटिस्फैक्शन पॉइंट ऑफ़ व्यू यदि एक का नाम लेने को कहते है तो वो हाश्य किरदार है "डमरू उत्साद" का उसमें दिलजान सिंह का चरित्र है। जो अभी रिलीज होना है, उस चरित्र को निभाते हुए अभी तक में सबसे ज्यादा मुझे संतुष्टि का अनुभव हुआ है।

सवाल : आप अपने फ़िल्मी कैरियर में सबसे सफल कास्ट और सिनेमा कौन सा मानते है ? 
जवाब : ये परम सौभाग्य की बात है की मुझे अभी तक जो भी कैरेक्टर करने का अवसर मिला वो सब कैरेक्टर एक दूसरे से अलग था, कोई नाकारात्मक तो कोई साकारत्मक था। कभी दर्दनाक तो कभी हास्य। और सभी किरदारों को लोगो ने सराहा और मुझे भी उन सभी कैरेक्टर को निभाने में बहुत आनंद आया। सभी फ़िल्म और सीरियल को लोगों से बढ़िया रेस्पोंस दिया सत्य कहें तो मैंने सभी कैरेक्टर को निभाते हुए एन्जॉय किया।

सवाल : एक कलाकार के जीवन में उतार चढ़ाव जरूर रहता है, कलाकार के तौर पर आपके जीवन में उतार चढ़ाव क्या रहा ?
जवाब : नहीं, मुझे अभी तक किसी उतार चढ़ाव का अनुभव नहीं हुआ, जब से मैंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अभिनय की यात्रा शुरू की तब से अभी तक लगातार काम कर रहा हूँ और सौभाग्यशाली मानता हूँ की मुझे एक से एक कैरेक्टर को निभाने का लगातार अवसर मिल रहा है, मैं अपनी अभिनय के सफर में कभी भी निराश नहीं हुआ।

सवाल : मैथिली आ भोजपुरी सिनेमा में बढ़ते हुए अश्लीलता के प्रचलन पर आपका क्या विचार है ? 
जवाब : बिकास जी। ये प्रश्न का उत्तर तो सीधे और सरल तौर पर नहीं दिया जा सकता है। वैसे पहली बात तो ये है की मैथिली में अश्लीलता आई ही नहीं है। भोजपुरी में तो है और उसकी सीमा कहाँ जाकर खत्म होगी पता नहीं। मैंने ना देखा है और ना ही ऐसे में काम किया है। जो लेखनी वात्स्यान, कालिदास, विद्यापति इत्यादि ने एक स्तरीय रचना की है उसे आप अश्लीलता कैसे मान सकते है। नहीं में नही मानता की ये अश्लीलता है। हाँ इनको प्रस्तुत करने का हल्के, भद्दे और गलत तरीके का में विरोध करता हूँ।

सवाल : वर्तमान में कौन-कौन सी फ़िल्म और सीरियल में काम कर रहे है ?
जवाब : वर्तमान में तो अभी में "पाहून" और "आब कहू मौन केहन करय छय" सीरियल में व्यस्त हूँ। कुछ अनामित फिल्मों पर काम चल रहा है। "डमरू उत्साद" रिलीज होने वाला है।  रही बात मेरी अपनी योजना की तो में अभी अभिनय कर रहा हूँ,  कुछ फैलियर जिम्मेवारी है जिसे 3 साल में पूरा करने के बाद मुझे अपनी जिम्मेवारी को लेखन के क्षेत्र में और बढ़ाना है। मै लिखने का शौक़ीन हूँ जिसे बाद में शुरू करूँगा और मैथिली फ़िल्म इंडस्ट्री को स्थापित करने के लिये जोश खरोश से काम करूँगा। 

सवाल : अपने बारे में कुछ और बातें जो आप दर्शकों को बताना चाहते हों ?
जवाब : मैं आपके पहले प्रश्न के जवाब में अपने विषय में बहुत कुछ संक्षेप में बोल ही दिया हूँ। में दिल्ली के विभिन्न संस्थानों का भी सदस्य हूँ। अखिल भारतीय मिथिला संघ में 20 साल से किसी ना किसी विभाग का सचिव पद से एक कार्यकर्त्ता की तरह काम करता रहा हूँ। ये बात अलग है की अक्सर लोग मेरे बारे में भ्रमित होकर अपना दुश्मन समझ लेते है। लेकिन बाद में जब उन्हें मेरी सत्यता का अपने आप पता चलता है तो लज्जित होते है। ऐसे अनेक उदाहरण है, कुछ बातें तो "पाहून" सीरियल से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण है किन्तु उन बातों का उल्लेख सीरियल के ऑन एयर रहते हुए नहीं कर सकता। बस इतना ही.. समय आने पर सब साझा करेंगे। 

सवाल : शुभ नारायण जी। न्यूज़ मिथिला से बातचीत करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब : आपका भी धनयवाद, जो आपने मुझे "न्यूज़ मिथिला" पर प्रथम साक्षात्कार के लिये चुना। आपको और आपकी पूरी टीम को शुभकामनाएं..

● तो आज हमारे साथ थे मैथिली मैथिली सिने जगत के चर्चित व स्थापित अभिनेता शुभ नारायण झा। उम्मीद करते है की इनका साक्षात्कार आपको अच्छा लगा होगा.. अभी के लिये बस इतना ही। अगले साक्षात्कार में फिर हाज़िर होंगे किसी नये चेहरे के साथ.. तब तक पढ़ते रहिये "न्यूज़ मिथिला"...