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मिथिलालोक ने बॉलीवुड फिल्म निर्माता संतोष बादल को पाग से किया सम्मान


न्यूज़ मिथिला : मिथिला के सामाजिक, आर्थिक और सांसकृतिक विकास के प्रतिबद्ध मिथिलालोक संस्था की मुहिम ‘पाग बचाऊ अभियान’ से हस्तियों का जुड़ना लगातार जारी है। मिथिलालोक संस्था अपने स्थापना के समय से ही मिथिला समाज के गणमान्य व्यक्तियों को पाग से सम्मानित कर इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास करता  रहा है और इस कड़ी में अगला नाम जुड़ा है बॉलीवुड के फिल्म निर्देशक संतोष बादल का। मैथिली फिल्म ‘उगना रे कखन हरब दुख मोर’ के निर्देशन से ख्याति प्राप्त संतोष बादल चर्चित टीवी धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहु थी’ के प्रारंभिक कड़ी का निर्देशन भी कर चुके हैं। 

मैथिली फिल्म ‘उगना रे कखन हरब दुख मोर’ के जरिए उन्होने दिखाया था कि विश्वप्रसिद्ध मैथिल कवि विद्यापति के घर साक्षात भगवान शिव ने उगना के रूप में अवतार लिया था। इस फिल्म के लिए उन्हे काफी सराहना मिली थी। आपको बता दें उगना भगवान शिव का ही नाम है और मिथिला में इनके नाम पर आज भी भव्य प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां रेलवे द्वारा एक उगना हॉल्ट भी बनाया गया है। 
शनिवार को एक निजी कार्यक्रम में मिथिलालोक के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने बादल को पाग से सम्मानित कर औपचारिक रूप से इस संस्था की सदस्यता प्रदान की। इस अभियान से जुड़ने के बाद निर्देशक ने कहा कि वो मिथिला की संस्कृति से काफी प्रभावित हैं और इस अभियान को आने वाली फिल्मों के जरिए आगे बढाएंगे।
इस अवसर पर मिथिलालोक के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने कहा कि पाग सम्मान का कार्यक्रम आगे भी जारी रहेगा और संस्था इस मुहिम से आम लोंगों के साथ साथ महान हस्तियों का जोड़ने का प्रयास भी करती रहेगी। हस्तियों के जुड़ने के महत्व को बताते हुए झा ने कहा कि इस माध्यम से सम्मानित व्यक्तियों को एक तरफ जहां समाज के लिए काम करने का मनोबल आएगा वहीं दूसरी तरफ समाज और संस्था के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ेगी।

इस कार्यक्रम में मुंबई से आईं लेखिका कुमारी प्रीति के साथ साथ शिमला से आए चार्टड अकाउंटेट और सोशल उद्यमियों को भी पाग सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मिथिलालोक फाउंडेशन के ब्रांड अंबेसडर और प्रसिद्ध गायक विकास झा ने हाल ही में रिलीज पाग कांवड़िया गीत से दर्शकों का खूब मनोरंजना किया। गौरतलब है कि पाग कांवडियां गीत सावन के इस पवित्र महीने में भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस गाने के माध्यम से दिखाया गया गया है कि मिथिला के पाग संस्कृति को बचाने को बचाने के लिए कांवड़िए पाग पहन कर सुल्तानगंज से देवघर तक का सफर तय क