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सत्ता बदली, सियासत बदली... लेकिन फिर भी कराह रहा है 'करहारा'


मधुबनी : बिहार का एक ऐसा गांव जहां नदी के रास्ते सालों भर जिंदगी के भागदौड़ में लोग विवश होकर सरपट दौड़ रहे है। यह गांव अपनी बदहाली की दास्तान वर्षों से बांस के चचरी पुल के सहारे बयान कर रहा है। 



यह गांव मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखण्ड अंतर्गत आता है जिसका नाम करहारा हैं। अधवारा समूह की धौस नदी पर पक्का पुल नहीं रहने के कारण ग्रामीण चार माह नाव तथा आठ माह बास की चचरी पुल के सहारे अपना जीवन व्यतीत करने पर विवश है। गांव के लोग धौस नदी पर पुल की मांग को लेकर बेनीपट्टी से पटना तक आवेदन देकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सरकार एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा अभी तक इस समस्या से निजात दिलाने के दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। 



प्रखण्ड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर करहारा गांव है। धौस, डोरा एवं थुम्हानी नदी से घिरा यह करहारा गांव विकास के लिए तरस रहा है। करहारा घाट की धौस नदी पर पुल नहीं है। गाव से बाहर आने व जाने का सड़क नहीं है। करहारा गाव के लोग सड़क नहीं रहने के कारण महराजी बांध के सहारे आया व जाया करते हैं। सात हजार की आबादी वाले करहारा गाव में यादव, मुस्लिम, पिछड़ा तथा महादलित एवं अनुसूचित जाति की संख्या सर्वाधिक है। आजादी के साढ़े छह दशक बीत जाने के बाद भी करहारा गाव के लोग सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, टेलीफोन, यातायात, सिंचाई, रोजगार जैसे जीवन की मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं। बाढ़ व सुखाड़ का दंश झेलना इनकी नियति बन गई है। गांव में मनरेगा व निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण कार्य की हालत बद से बदतर है। गाव के महज बीस प्रतिशत लोगों के घरों में निजी शौचालय है। 80 प्रतिशत लोगों को शौच के लिए सुबह व शाम बाहर जाना पड़ता है। गाव के अधिकाशत: लोग कृषि कार्यों पर आधारित है। बाढ़ एवं बरसात के दिन करहारा गाव दो माह तक टापू बना रहता है। जहा घर से आने व जाने का नाव ही एक मात्र साधन रहता है। धौस नदी पर पुल बनने से 50 हजार की आबादी को जहा सीधा लाभ मिलेगा। वहीं करहारा, समदा, बिरदीपुर, सोहरौल, गुलड़िया टोल, उच्चैठ सहित एक दर्जन गाव का बसैठ से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। 



करहारा पंचायत जो की बेनीपट्टी विधानसभा सभा क्षेत्र और मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पंचायत के मुखिया बताते है कि पंचायत में पंचायती विभाग से कार्य हो रहा है लेकिन धौस नदी पर पुल संभव नहीं है। धौस नदी पर पुल निर्माण की मांग को लेकर कई बार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आवेदन भी दिया गया है, लेकिन समस्या जस की तस है। जनप्रतिनिधियों के अनदेखी कारण आज भी पंचायत की आम आवाम नदी होकर जाने को विवश होते है।