क्या देखें
राम रेखा घाट
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान रामचन्द्र और लक्ष्मण ने अपने गुरू ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुर मार्ग से होते हुए गंगा नदी पार की थी। वह तीनों सीता स्वयंवर के लिए जनकपुर जा रहे थे। इसी कारण यह स्थान धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को किचहारी मेला के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन करीबन 50,000 से भी अधिक लोग गंगा नदी में स्नान करते है जो कि रामरेखा घाट के नाम से प्रसिद्ध है। गंगा में स्नान करने का यह कार्यक्रम लगातार तीन दिनों तक चलता है।
खरिका
खरिका गांव राजपुर के दक्षिण.पश्चिम से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव 1857 ई. में बाबू कुंवर सिंह और ब्रिटिश सैनिकों के बीच हुए युद्ध की घटना के बाद सामने आया।
ब्रह्मपुर
बक्सर स्थित यह गांव विशेष रूप से प्राचीन ब्रह्मेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है। यह मंदिर मोहम्मद गजनवी के समय से यहां स्थित है।मुगल शासक अकबर के समय में राजा मान सिंह ने इस मंदिर का पुन: निर्माण करवाया था।
अहिरौली
बक्सर के उत्तर-पूर्व से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर अहिरौली गांव है। यह गांव देवी अहिल्या के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथा के अनुसार इसका सम्बध ईसा पूर्व काल से है। कहा जाता है कि गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी को शाप दिया था जिस कारण वह पत्थर की बन गई थी। और वह पत्थर से पुन: स्त्री तभी बन सकती थी जब भगवान श्री राम इस जगह पर आए।
चौसा
यह जगह 1539 ई. में हुमायूं और शेरशाह के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। शेरशाह जब हुमायूं का पीछा कर रहा था, तब हुमायूं ने शेरशाह से बचने के लिए एक भिश्ती की सहायता ली थी। जिसने उसे गंगा नदी पार कराया था। भिश्ती की सेवा से प्रसन्न होकर हुमायूं ने उसे एक दिन के लिए अपना साम्राज्य सौप दिया था।
पलासी
यह जगह सन् 1757 ई. में ब्रिटिश सैनिकों और बंगाल के नवाब मीरकासिम के बीच हुए युद्ध के लिए जानी जाती है। यह युद्ध बक्सर शहर के पूर्व से छ: किलोमीटर की दूरी पर स्थित काथीकौली में हुआ था। वर्तमान समय में बक्सर शहर बक्सर जिले का मुख्यालय है।