इस संबंध में संचालिका बिट्टू कुमारी मिश्रा बताती है कि हमें यह प्रेरणा तब मिली जब हम किसी काम से अचानक गंगौर के महादलित बस्ती पहुंचे। जहां हमने देखा कि लोग अब भी खानाबदोस जिंदगी जी रहे है। खासकर लड़कियां घास काटने व घर का काम करने में ही व्यस्त थी। पूछने पर महिलाओं ने कहा कि हमारी बेटी पढ़ लिख क्या करेगी। यही घास भूसा का काम विवाह होने के बाद ससुराल में करना है। उसी दिन हमने वैसी बेटीयों को समाज में जगह दिलाने की ठानी और उस दिन से हमने लड़कियों की एक टीम बनाकर महादलित बेटियों को निशुल्क पढ़ाया लिखया। आज करीब दो वर्ष बाद उस बस्ती की दर्जनों बेटी मध्य विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रही है। ताजूब की बात यह है कि आज तक उस बस्ती के एक भी बेटियां मैट्रिक की परीक्षा में सम्मलित नहीं हुई है। बिटटू ने यह भी बताया कि शुरूआती दौर में काफी परेशानी आई। लड़कियां हमारे साथ आने से कतराती थी, पर इस सब काम में हमारे पिता जीबछ मिश्र जो एक प्राईवेट शिक्षक है। इन्होंने हमारी काफी मद्द की है। इन्ही के वजह से आज हम एक मजबुत टीम बना लिए है। बिटटू ने यह भी बताया कि हम और हमारे पिताजी ने लड़कियों के अभिभावक को बेटी से ही संसार की परिकल्पना है। इस तरह से अभिभावकों को प्रेरित कर जागरूक किया। कुछ आलोचनाएं भी हुई है, पर हमने उन अलोचनाओं को नजर अंदाज कर आगे बढ़ रहे है। इन बेटियों के इस बेटियों द्वारा किया जा रहा समाजिक कार्य बिल्कुल सराहनीय है। इस पर सरकार द्वारा इन बेटियों को कुछ सहायता मिलनी चाहिए। इस क्षेत्र के लिए यह बेटियों प्रेरणा बन गई है।
इस बाबत विधायक सुधांशु शेखर ने कहा कि जानकारी मिली है। हम बिहार व केंद्र सरकार से ऐसे बेटियों की हौसला अफजाई के लिए पत्र लिखेंगे। ताकि अधिक से अधिक महादलित बेटियों को शिक्षा से जोड़ा जा सके।
रिर्पोट : विक्रम भगत