केवल सेमीफाइनल होगा प्रभावित : मीडियाकर्मियों हुई बातचीत में डीडीसीए के ट्रेज़रर रवींद्र मनचंदा ने बताया कि पूरा विवाद सेमीफ़ाइनल मैच को लेकर है और उससे पहले 23, 26 और 28 मार्च को होने वाले मैचों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। सेमीफ़ाइनल मैच में भी आरपी मेहरा ब्लॉक का क्लियरेंस लेने की ज़रूरत इसलिए है, क्योंकि वो स्टैंड ब्रांडिंग और ब्रॉडकास्टर के लिए ज़रूरी है। आईसीसी ने करीब 2000 लोगों की क्षमता वाले इस स्टैंड के क्लियरेंस लेने की बात कही है, लेकिन मंगलवार को अगर फ़ैसला नहीं हुआ तो सेमीफ़ाइनल दिल्ली से हटा दिया जाएगा।
जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट को ठहराया दोषी : गौरतलब है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने फ़िरोज़शाह कोटला मैदान के पुराने क्लब हाउस आरपी मेहरा ब्लॉक के लिए सर्टिफ़िकेट देने से मना कर दिया है। डीडीसीए का कहना है कि एसडीएमसी को कोई दिक्कत नहीं लेकिन ये सब जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट की वजह से हो रहा है, जिसमें उन्होंने इस ब्लॉक के टिकट बेचने के लिए मना कर दिया था, जस्टिस एके पाठक ने साफ़ किया है कि जब तक क्लियरेंस नहीं मिल जाता तब तक मैच नहीं हो सकता।
मामला डिवीजन बेंच को : मामला फ़िलहाल डिवीज़न बेंच को सौंप दिया गया है, डीडीसीए की तरफ़ से दी गई दलील में ये साफ़ कहा गया कि इस ब्लॉक का निर्माण 1996 में हुआ था और तब से अब तक इसके क्लियरेंस में कोई दिक्कत नहीं आई और ये नियमों के अनुसार ही निर्मित है लेकिन जस्टिस मुद्गल के बीसीसीआई को लिखे पत्र के चलते इसका सर्टिफ़िकेट नहीं दिया जा रहा।
ये जवाब जस्टिस पाठक के ये कहने पर आया जब उन्होंने कहा कि आरपी मेहरा ब्लॉक का निर्माण नियमों को ताक पर रखकर किया गया। दिल्ली से ये मैच अब बेंगलुरु या फिर मोहाली को दिया जा सकता है। वहीं आईसीसी ने भी डीडीसीए से जल्दी जवाब मांगा है।