एसआईपीबी नामक संस्था के साथ निर्माण के लिए समझौता भी हुआ था, मेसर्स कमलापुर सुगर रिफानरी लिमिटेड को जमीन की खरीदने के लिए बिहार सरकार ने स्टांप ड्यूटी एवं निबंधन शुल्क में छूट भी दिया था। स्थानीय किसानो एवं बिहार सरकार के साथ चीनी मील प्रबंधन ने तीन साल के अंदर फैक्ट्री लगाने का एग्रीमेंट भी किया था।
राज्य मंत्री मंडल की स्वीकृति के साढ़े आठ साल बीत जाने के बावजूद प्रस्तावित भूमि पर कोई निर्माण नहीं हो सका है, जबकि निबंधन नीति के अनुसार सरकार का संकल्प है कि अगर तीन साल तक कोई निवेशक किसानों से खरीदी गयी भूमि पर निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं करता है तो संबंधित भूमि किसानों को लौटा दी जाएगी।
सरियतपुर के किसानों की जिस जमीन पर 10 जून 2008 को भारत सरकार के तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा उस समय के रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डा. अखिलेश प्रसाद सिंह एवं रुईया ग्रुप के अध्यक्ष पवन कुमार रुईया की उपस्थिति में सरियतपुर में मेसर्स कमलापुर सुगर रिफाइनरी लिमिटेड की इकाई निमार्ण कार्य का शिलान्यास तो किया गया था परंतु उस समय निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
हालाँकि कंपनी के चेयरमैन रुईया ने तीन साल के अंदर निर्माण कार्य शुरू करने का भरोसा किसानों को दिलाया था। बिहार सरकार एवं किसानों के साथ किये गये ऐग्रीमेंट में कंपनी ने सरियतपुर में आठ हजार टीसीडी छमता का नया चीनी मील, 26 एम डब्लू की विद्युत इकाई एवं 120 के एलपी की डिसलरी स्थापित करने का उल्लेख किया था।
शिलान्यास एवं किसानों से भूमि क्रय के साढ़े आठ साल बीत जाने तथा कंपनी द्वारा अब तक नये चीनी मील का निर्माण नहीं होने के किसान हित के इस महत्वपूर्ण मामले को कल्याणपुर के विधायक सचिंद्र प्रसाद सिंह ने बीते बजट सत्र के दौरान विधानसभा में उठाया था, बीते एक अप्रैल को बिहार विधानसभा में इस मुद्दे पर जोरदार बहस भी हुई थी।
विधायक ने इस मामले में सरकार से सदन में अपना रूख स्पष्ट करने की भी बात उठायी थी। 6 अप्रैल को प्रश्नकर्ता विधायक सिंह द्वारा इस मामले को लेकर एक पत्र भी समर्पित किया गया था। सदन के पटल पर विधायक ने सरकार से मांग किया कि सरकार निवेशक के साथ बैठक कर चीनी मील का निर्माण शुरू कराये. निवेशक द्वारा कार्य शुरू नहीं करने पर सरकार विधिसम्मत कार्रवाई करे।
विधायक सिंह ने यह भी मांग रखा कि सरकार अगर चीनी मील नहीं लगवा सकती है तो वहां के किसानों की जमीन वापस करे या जमीन का उचित कीमत देते हुए भूमि का अधिग्रहण कर उस जमीन को ब्योरा के साथ भारत सरकार को गन्ना अनुसंधान केन्द्र खोलने के लिए सहमति प्रदान करे।
विधायक ने सदन को यह भी बताया कि सरियतपुर में गन्ना उद्योग केन्द्र खुल जाने से पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण समेत उत्तर बिहार के कई जिलों के किसान इससे लाभान्वित होंगे, क्योंकि इस इलाके में गन्ना का उत्पादन भारी मात्रा में होता है तथा उत्तर बिहार में ग्यारह चीनी मीलें भी चल रही है।
सूबे के गन्ना मंत्री खुर्शीद आलम ने सदन में प्रश्नकर्ता विधायक को इस बावत आश्वासन दिया था कि बिहार सरकार इस दिशा में बहुत जल्द अग्रतर कार्रवाई करेगी। अब देखना यह है कि सरियतपुर में चीनी मील तो आखिरकार नहीं खुल सका लेकिन विधायक सिंह की मांग पर राज्य सरकार गन्ना उद्योग केन्द्र के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजती है या नहीं।
Source : मधुरेश DBN