साक्षात्कार :
सवाल : बिदेश्वर नाथ झा "बिकास"
जवाब : युवा साहित्यकार मैथिल प्रशांत
◆ न्यूज़ मिथिला के साक्षात्कार के क्रम में हमारे साथ है उभरते हुए युवा साहित्यकार प्रशांत कुमार झा "मैथिल प्रशांत"। पेशे से शिक्षक प्रशांत जी साहित्य के साथ साथ सामाजिक कार्यों में भी रूचि रखते है।
सवाल : मैथिल प्रशांत जी। न्यूज़ मिथिला के साक्षात्कार में आपका स्वागत है।
जवाब : जी, धन्यवाद। न्यूज मिथिला टीम को भी हमारी तरफ से हार्दिक शुभकामना, हम कामना करते है की न्यूज़ मिथिला जनमानस का कंठहार बने।
सवाल : प्रशांत जी, न्यूज़ मिथिला के दर्शक सबके समक्ष अपना परिचय दें।
जवाब : मेरा मूल नाम प्रशान्त कुमार झा है, साहित्य मैथिल प्रशान्त नाम से लिखते है। हमारा जन्म 1979 ईसवीं में बेनीपट्टी प्रखण्ड के दुर्गौली गांव में हुआ। पिताजी का नाम श्री कालीकान्त झा व माँ का नाम श्रीमती हीरा देवी है।
सवाल : आपका प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कहाँ से और किस विषय में हुआ ?
जवाब : हमारा प्रारंभिक शिक्षा 7वां कक्षा तक का पठन पाठन गाम के ही विद्यालय में हुआ। 8वीं से 10वीं तक का पढ़ाई उच्च विद्यालय खिरहर में, इंटर का पढ़ाई साइंस से मारवाड़ी महाविद्यालय दरभंगा से और स्नातक की पढ़ाई (इतिहास) IGNOU से किये है। डीएड मिल्लत शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय मधुबनी से किये हुए है।
सवाल : मैथिली नाटक व मैथिली में लिखने की रूचि कैसे जगी और प्रेरणा कहाँ से मिला ?
जवाब : जहाँ तक नाटक में रूचि का प्रश्न है, तो रूचि दुर्गापूजा में हमारे गावँ में नाटक का मंचन हुआ करता था, वहिं देख कर रूचि बढ़ती गई। मैथिली नाटक के प्रति रुचि जगाने में आकाशवाणी दरभंगाक का भी महत्वपूर्ण योगदान है। समग्र मैथिली लेखनी का अगर बात किया जाय तो हमारे प्रेरणा स्रोत आदरनीय गुरु श्री उमाकांत ठाकुर जी का महत्वपूर्ण योगदान है।
सवाल : अभी तक कितने लेख व नाटक का रचना कर चुके है और कितने का प्रकाशन हो चूका है ?
जवाब : छः सात मैथिली नाटक का अभी तक मंचन हुआ है। लेकिन वह प्रकाशित नहीं है। एक नया कविता संग्रह "अखरा चान" नवारंभ से प्रकाशन के क्रम में है। छिटपुट कविता छोटे छोटे पत्रिका में प्रकाशित है।
सवाल : जिस विषम परिस्थिति से मैथिली भाषा गुजर रही है, उस परिस्थिति में मैथिली लेखन से लेकर प्रकाशन तक में बहुत सारी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। इस विषय पर आपका अनुभव कैसा है ?
जवाब : मैथिली विषम परिस्थिति में है, यह हम नहीं मानते है। अच्छे अच्छे युवा साहित्यकार आगे आ रहे है। इससे पता चलता है की मैथिली का भविष्य उज्जवल है। पुरे विश्व में मैथिली भाषा चालीसवां स्थान पर है। मैथिली भाषा में कविता कथा का रचना बहुत हो रहा है। परंतु मैथिली लेखक विषम परिस्थिति में जरूर है, जिनके पास आर्थिक का अभाव है वह साहित्यकार बनने की सोच भी नही सकते है।
सवाल : आज के समय में युवा रोजगार के लिये बहुत कुछ करते है, लेकिन आप कभी शिक्षक की नौकरी छोड़ दिये थे.. कारण क्या था ?
जवाब : जी, हमारा पेशा शुरू से ही शिक्षण रहा है। कुछ समय पहले प्राइवेट शिक्षक से सरकारी पेशा मे आये है। हम अभी भी शिक्षक के रूप में भाला बैंगरा में कार्यरत है।
सवाल : मैथिली सिनेमा संगीत में बढ़ते अश्लीलता पर एक साहित्यकार के नाते आपका क्या विचार है ?
जवाब : अश्लीलता सिर्फ मैथिली सिनेमा संगीत में ही नहीं है, बल्कि सभी भाषा में है। अश्लीलता को भी मैथिली मे स्वीकार करना होगा। किन्तु मैथिली की अपनी मौलिकता होनी चाहिए, मैथिली फिल्म ऐसा न लगे की किसी दुसरी भाषा की डब फिल्म है।
सवाल : साहित्य लेखनी और नाटक को लेकर भविष्य के क्या योजनाएं है ?
जवाब : काव्य संग्रह के बाद लप्रेक पर कार्य करना है। एक नाटक "जय जय भैरवि" लिख रहे है, बहुत जल्द मैथिल जनमानस के सामने लाऊँगा।
सवाल : प्रशांत जी। न्यूज़ मिथिला से बात करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब : बिकास जी आपका भी धन्यवाद। साथ ही न्यूज मिथिला के उज्जवल भविष्य के लिये ढ़ेर सारी शुभकामनाएं..
● आज हमारे साथ थे युवा साहित्यकार मैथिल प्रशांत । उम्मीद करते है की इनका साक्षात्कार आपको अच्छा लगा होगा.. अभी के लिये बस इतना ही। अगले साक्षात्कार में फिर हाज़िर होंगे किसी नये चेहरे के साथ.. तब तक पढ़ते रहिये "न्यूज़ मिथिला"...