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मिथिला में शादी की गीत मां जानकी का याद दिलाती है : मोरारी बापू

पटना : किसी भी देश व राज्य की भाषा प्रिय होती है, लेकिन मानस की बात हो तो मिथिला जो जनक नंदिनी की नगरी रही है, की भाषा अत्यंत प्रिय है। आज भी मिथिला के गांवों में जब शादी के गीत गाए जाते हैं तो मां जानकी की याद आ जाती है। भाषा के साथ अपनापन होता है तो वह प्रिय लगने लगती है। ये बातें मोरारी बापू ने रामकथा प्रसंग के दौरान कहीं। अध्यात्मिक सत्संग समिति की ओर से नौ दिवसीय राम कथा के आठवें दिन गांधी मैदान स्थित अयोध्या धाम में मोरारी बापू ने मानस से जुड़े कई प्रसंगों की चर्चा करते हुए श्रोताओं को आनंदित किया। बापू ने कहा कि मानस में राम विहार के कई प्रसंग हैं। जिसमें राम मोक्ष के पर्याय, भरत काम के, लक्ष्मण धर्म के एवं शत्रुघ्न अर्थ के प्रतीक स्वरूप हैं।  मोक्ष की भक्ति, धर्म की श्रद्धा, अर्थ की सेवा एवं काम की भागवत प्राप्ति की तीव्र व्याकुलता मानस में देखने को मिलती है। मानस में राम पालक, भरत बालक, लक्ष्मण गोलक एवं शत्रुघ्न चालक की भूमिका में नजर आते हैं। 
सोर्स : अन्य