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मिथिलालोक के फाउंडर डा. बीरबल झा पद्मश्री के लिए हुए नामांकित


न्यूज़ मिथिला विशेष : प्रख्यात शिक्षाविद् एवं प्रतिष्ठित लेखक डा. बीरबल झा को शिक्षा एवं लेखन के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार-2017 के लिए नामांकित किया गया है। मात्र 44 वर्षीय डा0 बीरबल झा ने इतनी कम आयु में जिस प्रकार से लाखों बेरोजगार युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से उनकी रोजगारपरकता का विकास करने में सफलता प्राप्त किया है, काबिलेतारीफ है। उनकी ये उपलब्धि उन्हें युवाओं के बीच रोल मॉडल बनाती है। साथ-साथ डा. बीरबल झा ने विगत दिनों अपनी जन्मभूमि मिथिलांचल के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकास के लिए भी ‘‘पाग बचाउ अभियान’’ प्रारम्भ किया है, जो काफी सफल रहा है।

डा0 झा का नाम पद्मश्री के लिए प्रस्तावित करते हुए ऑब्जर्वर, डॉन जैसे प्रतिष्ठित पत्रिका के पूर्व प्रबंध संपादक तथा कारवां, वीमेन्स एरा, अलाईव, चंपक जैसे लब्धप्रतिष्ठ पत्रिकाओं से जुड़े रहे अच्युत नाथ झा ने कहा कि बिहार के मधुबनी जिले के अत्यंत पिछड़े गांव में जन्म लेनेवाले डा. झा ने वर्ष 1993 में ब्रिटिश लिंग्वा नामक संस्थान की स्थापना की। तब से लेकर आजतक उनके मार्गदर्शन में इस संस्थान के द्वारा लाखों छात्रों को अंग्रेजी बोलने की क्षमता में कौशल विकास के माध्यम से सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने लायक बनाया गया है। स्पोकेन इंगलिश, ब्रिटिश लिंग्वा और डा0 बीरबल झा एक दूसरे के पर्यायवाची बन गये हैं। साथ ही ‘सेलिब्रेट योर लाईफ’’ तथा ‘‘इंगलिशिया बोली’’ के लेखक डा. झा ने अंग्रेजी में दर्जनों अन्य पुस्तकों की भी रचना एवं प्रकाशन किया है। इनके द्वारा लिखित ‘‘स्पोकेन इंगलिश किट’’ की अबतक लाखों प्रतियां बिक चुकी है।

पूर्व संपादक ने कहा कि डा. झा बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। युवाओं के कौशल विकास के साथ-साथ डा. बीरबल झा इन दिनों अपने जन्मभूमि मिथिला के कल्याण के लिए भी योजना बनाने एवं उसे अमलीजामा पहनाने में तन-मन-धन से लगे हैं। इसी क्रम में विगत दिनों उन्होंने मिथिला लोक फाउंडेशन की स्थापना की और ‘‘पाग बचाउ अभियान’’ को एक आंदोलन बना दिया। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर पटना, मधुबनी एवं जगह-जगह सम्मेलन, मार्च, गोष्ठी आदि के माध्यम से मिथिलांचल के सर्वांगीण विकास हेतु प्रयासरत डा0 बीरबल झा ‘पद्मश्री’ सम्मान के सर्वथा योग्य हैं।